Wednesday, April 7, 2010

पडोसी ही पडोसी कें काम आते है

अखबार में आंख गडाके
मैंने कहा क्या चाय मिलगी
आवाज़ आई
नहीं
दूध ख़त्म हो गया है
बिना दूध चाय ऐसी
जिसे बिना चीनी कोई मिठाई
मैंने कहा पड़ोस से लेलो
श्रीमतीजी ने नाराज़गी से बोला
कोई शर्म है या नहीं
अब पड़ोस से दूध मांगना पड़ेगा एक चाय के लिए
आज बिना चाय के अख़बार पड़ लो
मैंने सोचा पड़ोस से मांगने में क्या शर्म
कोनसी नाक कट जाएगी
पर कोंन करे बीबी से बहस
तब ही दरवाजे की घंटी बजी
पड़ोसन बोली भाईसाहब कुछ चीनी मिलेगी
ख़तम होगई है
मैं मन ही मन मुस्कराया
शायद पड़ोसन को पता चला
वह बोली अगर नहीं तो कोई बात नहीं
मैंने अपनी मुस्कान को संभाला
और श्रीमतीजी को बुलाया
श्रीमती से पड़ोसन बोली
मैंने श्रीमती की आँखों में देखा
और इशारे से बोला दिया
श्रीमती ने न चाहते भी
पड़ोसन से दूध मांग लिया
पड़ोसन ख़ुशी ख़ुशी से कहा
पडोसी पडोसी के काम नहीं आया
तो ऐसे पडोसी का क्या फायद
जी हाँ पडोसी ही पडोसी कें काम आते है