Wednesday, April 7, 2010

पडोसी ही पडोसी कें काम आते है

अखबार में आंख गडाके
मैंने कहा क्या चाय मिलगी
आवाज़ आई
नहीं
दूध ख़त्म हो गया है
बिना दूध चाय ऐसी
जिसे बिना चीनी कोई मिठाई
मैंने कहा पड़ोस से लेलो
श्रीमतीजी ने नाराज़गी से बोला
कोई शर्म है या नहीं
अब पड़ोस से दूध मांगना पड़ेगा एक चाय के लिए
आज बिना चाय के अख़बार पड़ लो
मैंने सोचा पड़ोस से मांगने में क्या शर्म
कोनसी नाक कट जाएगी
पर कोंन करे बीबी से बहस
तब ही दरवाजे की घंटी बजी
पड़ोसन बोली भाईसाहब कुछ चीनी मिलेगी
ख़तम होगई है
मैं मन ही मन मुस्कराया
शायद पड़ोसन को पता चला
वह बोली अगर नहीं तो कोई बात नहीं
मैंने अपनी मुस्कान को संभाला
और श्रीमतीजी को बुलाया
श्रीमती से पड़ोसन बोली
मैंने श्रीमती की आँखों में देखा
और इशारे से बोला दिया
श्रीमती ने न चाहते भी
पड़ोसन से दूध मांग लिया
पड़ोसन ख़ुशी ख़ुशी से कहा
पडोसी पडोसी के काम नहीं आया
तो ऐसे पडोसी का क्या फायद
जी हाँ पडोसी ही पडोसी कें काम आते है

Tuesday, March 30, 2010

ये टूटा
कांच का गिलास
ऐसा लगा
गिलास नहीं कोई अरमान टूटा
मेमसाहेब चिलायी बाई पर
और बाई रो पड़ी
मेमसाहेब पर कोई असर नहीं
गिलास महंगा था
क्यों की विदेशी था
बाई रो रो कर बेहाल थी
रोते रोते बाई बोली
मेमसाहेब कल भी गिलास
टूटा था
पर फर्क इतना है की
कल आपसे टूटा था
और आज मेरे से
कल और आज में
इतना क्या बदला
शब्द कानो में चुभे
कल और आज में
क्या बदला
कुछ भी तो नहीं
यह क्या मेरा अहम् था
या मेरा गिलास
मुछे कुछ समझ ना आया
यह टूटा
कांच का गिलास

Thursday, March 25, 2010

मुझे एसा क्यों लगा की तुम मुझ से नाराज़ हो

मैंने अपने आप से पुछा की क्यों मुझे ऐसा लगा

जवाब कुछ ना मिला पर लगा की तुम मुझ से नाराज़ हो

नाराज़गी बताये भी नहीं बात करते भी नहीं

और कहते हो की मुझ से नाराज़ भी नहीं

कोई गम नहीं की तुम नाराज़ हो

कोई शक्वा ना करेंगे तुम से

ऐ दोस्त दोस्ती करी है

यह वादा रहा दोस्ती निभाएगें

एक बार आवाज़ तो देना,

हमें हमेशा अपने पास ही पायोंगे

Sunday, March 21, 2010

नज़र बाज़ ने नज़र सनम को

नज़र ने नज़र को मिलते देखा

नज़र पडी जब नज़र के ऊपर

नज़र ने नज़र को गिरते देखा

मौसम सुहाना था

पंछियो की चहक से
फूलों की महक से
हवाओं की सायं सायं से
मौसम सुहाना था
कान्हा के जंगल में
मोर ने अपने पंख बिखरे
mornee को रिझाने
मोर चला मोरनी के पीछ पीछ
अपने पंख उठाये
हवाओं की सायं सायं से
मौसम सुहाना था








पर रात अभी बाकि थी

तारें दूब रहे थे
हवा शांत हो चली थी
रात की शयाही घनी हो चली थी
पर रात अभी बाकि थी

पलके बंद हो चली थी
सांसे मध्यम हो चली थी
शरीर सिथिल हो चला था
पर रात अभी बाकि थी

सपने टूट चुके थे
साथी बिछुड़ चुके थे
आंसू थम चुके थे
पर रात अभी बाकि थी

कंहा गएँ सितारे मेरे शहर से

शहर से दूर
एक रात बिताइ गांवं में
सितारों से भरा था आकाश
जगमग जगमग कर रहे थे
तारे आकाश में

क्यों यह शहrओं में नहीं दिखातें
मैंने पूछा तारों से

एक तारा बोला
हम तो शहर में भी दिखाते
पर आपने शहर को इतना गन्दा किया की
वहां आने का मन नहीं करता
गली गली में कचरा है
हवाओं में धूआ ही धूआ
दम लेने को भी हवा नहीं
अब आप ही बातें हम शहर में क्यों आय .......
अब समझा की कंहा गएँ सितारे मेरे शहर से

Tuesday, March 16, 2010

हवाई जहाज़ का सफ़र

हवाई जहाज़ का सफ़र एक महंगा सफ़र
कहते है हवाई सफ़र सस्ता हो गया
पर फिर भी प्लेन खाली रहते है
आम आदमी तो अभी भी प्लेन में
जाने को सोच भी नहीं सकता

प्लेन में उद्गोशाना होती है की
अपने मोबाइल बंद कर दो
पर देखो लोग अभी भी फ़ोन पर बात कर रहें है
एसा लगता है की मोबाइल में इनकी जान अटकी हुई है

यह कैसी विडम्बना है की प्लेन की उतारते ही मोबाइल चालू हो जाते है
उदघोशना होती रहती है मोबाइल बंद रखने की
पर यह पैसे वाले मुसाफिरो को तो अपने बातो से कांह फुस्र्सत
और यहकैसा मजाक मोबाइल पर यह कहते है की
मैं आगया
जैसे की १० मिनट बाद यही बात नहीं कही जा सकती

और भी तमाशा देखो, प्लेन की नीच उतरते ही,
यह सब पैसेवाले यह मुसाफिर अपने अपने सामान के साथ
ऐसे उतरने की जल्दी करते है की
जैसे की प्लेन नहीं मुंबई की लोकल हो
क्या बोले इन पैसेवालों को
काश पैसे की साथ साथ इनको भगवान् इंतज़ार करना भी सिखा देता
काश इंतज़ार करने का सबक भी पैसे से मिल जाता
तो कितना अच्छा होता ..........

Monday, March 15, 2010

जीवन से भरी तेरी ऑंखें

जीवन से भरी तेरी ऑंखें
मजबूर करे जीने के लिए जीने के लिए
सागर भी तरसते रहते है
तेरा रूप का रस पिने की लिए पिने की लिए
जीवन से भरी ......
तस्वीर बनाये क्या कोई
क्या कोई लिखे तुझे पे कविता
रंगों छंदों में समाइय्गी
किस तरह से इतनी सुन्दरता सुन्दरता
एक धड़कन है तू दिल के लिए
एक जान है तू जीने के लिए जीने के लिए
जीवन से भरी .......
मधुबन की सुन्गंद है सासों में
बांहों में केवल की कोमलता
किरणों का तेज है चहरे पे
हिरनों सी है तुज में चंचलता चंचलता
आँचल का तेरे एक तार बहुत
कोई चाक जिगर सीने के लिए सीने के लिए
जीवन से भरी .........................

Sunday, March 14, 2010

इंतज़ार

मैं उनके फ़ोन को इंतज़ार करता रहा
वो मेरे फ़ोन का इंतज़ार करते रहे
हम दोनों एक दुसरे के फ़ोन का इंतज़ार करते रहे
इंतज़ार करते करते इंतज़ार इंतज़ार होगया
न मैं फ़ोन किया न उन ने फ़ोन किया
और धीरे धीरे इंतज़ार बढता ही गया
इंतज़ार इतना बडगया की
आपस की दूरिया भी बढती ही चली गयी
वो हमसे दूर हो गए हम उनसे दूर हो गए
अब तो सिर्फ यादें ही इंतज़ार बनके रहे गयी
इंतज़ार को इंतज़ार न बने दो दोस्त
नहीं तो कल को यही इंतजार

इंतजार बन के दिल को रुलाता रहेज़ेगा

Right Yaaa Wrong My review.

Today I saw movie Right Yaaa Wrong. I liked the movie. The best part of the movie is that it keeps you in your seat and made me keep guessing what is next.........
Sunny Deol acted very good. But the best role played was by Irfan Khan. He was supreup. Konkan Sen had very little role, but she acted very well. Her face expression in the end when came to know the truth, was excellent. She should have been given much more role in the movie.
Good movie.
Should be seen at least once...........
I Don't mind to see it again.........

Saturday, March 13, 2010

When two couple meet

When two couple meet what they see????????????

Any guess.................

A lady see other lady's dress, saree, jewellery, make up, hair design etc etc.....

A man see other man's wife..............

What do you say??????????????

Your comments are welcome...............

Friday, March 12, 2010

सुहाना मोसम

कल रात से ही नागपुर का मोसम बहुत सुहाना हो गया था।
सारी रात बिजली चमकती रही, बरसात होती रही।
सुबह सुबह मोसम बहुत ही शानदार था
मैने अपने साइकिल ली और बारिश में भीगते भीगते तेलान्कड़ी लेके पर निकल गया।
हवाएँ इतनी तेज चल रही थी की साइकिल चलने में बहुत मुश्किल हो रही थी,
पर फिर भी साइकिल चलते चलते में तेलान्कड़ी लेके पर गया।
तेलान्कड़ी लेके में पानी का स्तर ऊपर हो गया था।
तेज हवाओं और बारिश से मेरी साइकिल डगमगा रही थी,
पर धीरे धीरे में चलता रहा चलता रहा। लेके का नज़ारा देखते ही बनता था।
बादलों के कारन अभी भी अँधेरा था, सूरज की लालिमा अभी तक धरती पर नहीं आयें थी
बिच बिच में बिजली चमक रही थी। लगा की भगवान् लाइट जलाकर मुझे देख रहा था ।
में बहुत ही खुश था nature के इस नज़ारे को देख कर।
मेंने मन ही मन में प्रभु को धन्यवाद किया और धीर धीर घर को लौटा आया।

Thursday, March 11, 2010

हम दुखी क्यों रहेते है?????????????

एक बार दो औरतें आपस में बातें कर रहें थी।
एक औरत ने दूसरे औरत से पूझा तुम्हारी बेटी और दामाद कैसा है।
इस पर दूसरी औरत बोली की मेरी बेटी तो बहुत ही नसीब वाली है क्योंकि बेटी का पति हर को काम उसकी बेटी से पूछ कर ही करता है।
फिर उस से उसकें बेट के बारे में पूझा तो इसपर वो झलाकर बोली मेरा बेटा तो अपनी बीबी को गुलाम है। वह वोही करता जो उसकी बीबी करने को कहती है।

अब देखो हम कितनी ज़ल्दी बदल जाते है। हम वो ही करना चहतेहै जो हम को पसंद हो। हम परिस्तियो को अपने हिसाब से बदल लेतें है। क्या यही कारन तो नहीं की हम दुखी रहते है। हम अपने आप को बदलना नहीं चहते पर दुसें बदल जाएँ यही चाहतें है और इस कारन से हम दुखी रहतें है..................

Why we take gentlemen for granted?????

I have been observing that we behave with a person who is arrogant, strict, egoist very nicely whereas we take the person who is through gentleman, lenient, harmless, for granted. It applies at all level whether at home front, or friend circle or in the office.

When the boss is very strict, shrewd, good task master, we are very particular in responding to him. We attend office on time. We submit report on time. We report him each and every thing. But when the boss is otherwise who is lenient, harmless, we take all liberties like coming late to office, delay in submitting report etc. The same thing applies to friends also. We take some of the friends who are nice and sober for granted. Even while dealing with the public the same is applicable. The person who is trouble maker or fights on small issue etc are attended on priority. Such persons' choices are also taken care every time. But the other persons are squarely ignored. Is is not true?????????????

What is your opinion about it!!!!!!!!!!

Tuesday, March 9, 2010

पल पल दिल के पास तुम रहती हो

पल पल दिल के पास तुम रहती हो
जीवन मीठी प्यास यह कहेंती हो
पल पल दिल के पास तुम रहेती हो ----
हर श्याम आँखों पे तेरा आंचल लहेरएं
हर रात यादो की बारात लाएं
में सांस लेता हूँ तेरी खुसबू आती ही
एक महका महका सा पैगाम लती है
मेरे दिल की धड़कन भी तेरी गीत गाती है
पल पल दिल के पास तुम रहती हो .......

कल श्याम देखाता तुम्हे अपने आँगन में
जेसे कहे रहीती तुम मुझे बंध्लो बंधन में
यह कैसा बंधन है, यह कैसे सपने है
बेगाने होकर भी कोएं अपने लगते है
मैं सोच में रहता हो डर डर कें कहता हूँ
पल पल दिल कें पास तुम रहती हो ..............

तुम समझोगी कोयं इतना में तुम से प्यार करू
तुम समझोगी दीवाना मैं भी इकरार करू
दीवानों की यह बाते दीवाने जानतें है
जलने में क्या मजा है दीवाने जानते है
तुम यूं ही जलाते रहेना आ आ कर खाब्यो में
पल पल दिल कें पास तुम रहेती हो ..............

चलते चलते मेरे यह गीत याद रखना

चलते चलते मेरे यह गीत याद रखना
कभी अलविदा ना कहना कभी अलविदा ना कहना
रोतें हसतें बस यूं ही तुम गुनगुनाते रहेना
कभी अलविदा ना कहना ......

प्यार करते करते हम तुम कंही रो जायेंगे
इन्ही बहारों के अंचल में थक के सो जायेंगे
सपनो को फिर भीर तुम यूँ ही सजाते रहेना
कभी अलविदा ना कहना .....

बिच रहा में दिलबर बिछड़ जाएँ कही हम अगर
और सूनी सी लगे जीवन की यहं डगर
हम लोट आयेंगें तुम यों ही बुलाते रहेना
कभी अलविदा ना कहेना .....

दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाएँ

दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाएँ
जाने कांह कब किसी को किसी से प्यार को जाएँ
ऊँची ऊँची दीवारों सी इस दुनियां की रस्मे
न कुछ तेरें बस में जुली ना कुछ मेरें बस में
दिल क्या करें जब किसी को किसी से प्यार हो जाएँ .........

जैसे पर्वत पे घटा झुकतीं है
जैसे सागर से लहर उटती है
इसे किसी चहरे पे निगाहें रुकती है

जैसे पर्वत पे घटा झुकतीं है
जैसे सागर से लहर उटती है
इसे किसी चहरे पे निगाहें रुकती है

रोअक नहीं सकती नज़रो को दुनिया भर की रस्मे न
कुछ तेरें बस में जुली ना कुछ मेरें बस में

आ मैं तेरी यदा में सब को बुलादू
दुनिया को तेरी तसवीर बना दू
मेरा बस चले तो दिल चीर के दिखा दू

आ मैं तेरी यदा में सब को बुलादू
दुनिया को तेरी तसवीर बना दू
मेरा बस चले तो दिल चीर के दिखा दू

दोड़ रहा साथ लहू कें, प्यार तेरा नस नस में
न कुछ तेरे बस में, न कुछ मेंरे बस में ......

Monday, March 1, 2010

BANDRA FORT AT BANDRA WEST, MUMBAI, INDIA




Last week in the birthday party of Shobha, her PG Shobhan told about the Bandra fort. So we decided to visit the place. It is located in the bandra west near bandstand at the corner known as Land's end. There is very few ruin of bandra fort. The fort was not maintained at all. That is way only very few ruins were there. However, garden is maintained therein. It is on the bank of Arabian Sea. From the Bandra Fort, One can see the Bandra Worli Sea Link also. it is nice place for an outing in the evening.

Wednesday, February 24, 2010

SMILE


I know what you are wearing today.
I saw it the other day and on many occasions.
you donot even made an effort to change it!
and you look very sweet in it.

Yes, It is your smile.........
wear it always.....................................

Tuesday, February 23, 2010

Monday, February 22, 2010

to baat paki

I saw this movie on sunday. It was just time passed.
It was very slow in the begining. Tabu acted well as typically KHALNAYAK.
Can be seen once. Even if one has skipped this movie, one will not be losing anything.

My name is KHAN

I saw this movie this week. I was totally issue based movie. It was not an entertainment movie like other movie of SRK. It becomes boaring in between in second half. It can be seen once. Not again at any cost. It can not be compared with 3 idiots which was totally entertainment movie with a message therein.

Life


Life may not be the party you hoped for, but that does not mean you stop dancing
Remember You are the DJ of your LIFE. Just SPIN. Rock it. Enjoy IT.
Thing BIG!!!!!!!!!!!!!!!

Friends

The thread asked the candle "why do you dissolve yourself when i burn"
Candle replied 'You are in my herat, if you suffer I am bound to shed tears for you

attitude

I never say anything BAD about myself
not because i believe i am perfect
but i have enough People around me to speak on that topic

Saturday, February 20, 2010

Life

If some one feels that he had never made a mistake in their life,
then it means they had never tried a new thing in their life

Nice friends.

Nice people are like the wind,
you will never see them,
but you will always feel their presences..............
You are one of them!!!!!!!!!!!!!!!!!

BIRTHDAY


Birthday celeberation may come to an end
but
life's celeberation continue...................
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY

Thursday, February 18, 2010

friendship


Friendship is not a big fire which burns all the day
but it is a small lamp that burns till the last day of life.
May you have millions of such lamps in your life.

relations

some relations never demands personal presence.
It is the confidence in the relation which makes you aware
that when needed the person will always be with you

FRIENDSHIP

In world 6 things are GOD's gift
1) mother's love
2) father's advice
3) brother's care
4) sister's fight
5) kisi ka pyar
and
..
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6) OYE APNI DOSTI MERE YAAR

good night

ho gayi hai ab to black black night

chand ne bhi kar di hai white white light

sweet sweet sapno ki tum pakadlo flight

now close your eyes and say good nit

joke

Height of "Ohh Shit" like situation
A guy takes a blade and writes his girlfriend's name on his hand and
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makes a spelling mistake

friendship

It is not necessary to share every secret between true friends
but the thing sis that whatever we share should be true.