Thursday, March 25, 2010

मुझे एसा क्यों लगा की तुम मुझ से नाराज़ हो

मैंने अपने आप से पुछा की क्यों मुझे ऐसा लगा

जवाब कुछ ना मिला पर लगा की तुम मुझ से नाराज़ हो

नाराज़गी बताये भी नहीं बात करते भी नहीं

और कहते हो की मुझ से नाराज़ भी नहीं

कोई गम नहीं की तुम नाराज़ हो

कोई शक्वा ना करेंगे तुम से

ऐ दोस्त दोस्ती करी है

यह वादा रहा दोस्ती निभाएगें

एक बार आवाज़ तो देना,

हमें हमेशा अपने पास ही पायोंगे

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