Tuesday, March 9, 2010

दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाएँ

दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाएँ
जाने कांह कब किसी को किसी से प्यार को जाएँ
ऊँची ऊँची दीवारों सी इस दुनियां की रस्मे
न कुछ तेरें बस में जुली ना कुछ मेरें बस में
दिल क्या करें जब किसी को किसी से प्यार हो जाएँ .........

जैसे पर्वत पे घटा झुकतीं है
जैसे सागर से लहर उटती है
इसे किसी चहरे पे निगाहें रुकती है

जैसे पर्वत पे घटा झुकतीं है
जैसे सागर से लहर उटती है
इसे किसी चहरे पे निगाहें रुकती है

रोअक नहीं सकती नज़रो को दुनिया भर की रस्मे न
कुछ तेरें बस में जुली ना कुछ मेरें बस में

आ मैं तेरी यदा में सब को बुलादू
दुनिया को तेरी तसवीर बना दू
मेरा बस चले तो दिल चीर के दिखा दू

आ मैं तेरी यदा में सब को बुलादू
दुनिया को तेरी तसवीर बना दू
मेरा बस चले तो दिल चीर के दिखा दू

दोड़ रहा साथ लहू कें, प्यार तेरा नस नस में
न कुछ तेरे बस में, न कुछ मेंरे बस में ......

1 comment:

  1. आपका प्रयाश सराहनीये है...बहुत बहुत धन्यवाद ....

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