Saturday, January 1, 2011

आज एक जनवरी की सुबह
मैं निकल साइकिल लेकर
सुबह सुबह घूमने
स्कूल के बच्चो को स्कूल जाते देख कर
अचानक याद की आज

बच्चो को छुटी नहीं
काश आज बच्चो को

छुटी होती नव वर्ष की
सोचते सोचते मैं साइकिल लेकर निकला आगे

गोरेवाडा का जंगल देखा मन प्रफुलित हुआ
पर तभी मन में विचार आया
यह जंगल कितनी दिन बच पायेगा
इस हरे बहरे जंगल को काट कर
हम इन्सान ऊचे ऊचे मकानों का जंगल बनादेगे
यह शांति और वातावरण की पवित्रता को सदा के लिए
हम ख़तम कर देंगें
मन में यही विचार था की
काश यह जंगल जंगल ही बना रहे
पंचिओं की चाह्चत युही बनी रहें
काश इस हो सकता ......